An international team of researchers consisting of geneticists, anthropologists, archaeologists and historians have found that Ramayana, written 10,000 years ago, is a chronicle of events and characters recorded by Sage Valmiki and not a work of fiction
https://www.dailypioneer.com/2015/page1/ramayana-not-a-work-of-fiction.html
इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है।
https://hi.wikipedia.org/wiki/रामायण
रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं, इसके २४,००० श्लोक हैं।
वाल्मीकि रामायण भगवान राम के समय लिखी गई थी और यह संस्कृत में लिखी गई है। तो इसका कारण यह है कि संस्कृत भगवान राम के समय बोली जाने वाली भाषा थी।
इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं।
खगोलीय जानकारी जैसे नक्षत्रों की स्थिति और शास्त्रों में उपलब्ध ग्रहणों के समय के आधार पर, उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि रामायण में घटनाएं 7,000 साल पहले हुई थीं और महाभारत में घटनाएं 5,000 साल पहले हुई थीं।
रामायण अर्थात राम + अयण = राम का आना। रामायण ज्ञान तत्व है। पंच तत्व शरीर, चार आश्रम को नौ द्वार होए, एक आत्मा से चला।
आधुनिक विद्वान इसका रचनाकाल 7 वीं से 4 वीं शताब्दी ईसा पूर्व मानते हैं। कुछ विद्वान तो इसे तीसरी शताब्दी ई तक की रचना मानते हैं। कुछ भारतीय कहते हैं कि यह ६०० ईपू से पहले लिखा गया।
अनिरुद्ध जोशी आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत काल का युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ था, अर्थात 5155 वर्ष पूर्व हुआ था। नए शोधानुसार रामायण काल को लगभग 7323 ईसा पूर्व अर्थात आज से लगभग 9341 वर्ष पूर्व का बताया गया है, जबकि भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व चैत्र मास की नवमी को हुआ था।
https://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-history/period-of-ramayana-117110200038_1.html
Mahabharat and Ramayan are not mythology, but lost history of India. It is story of two avatars of lord Vishnu in Treta yug and Dwapar yug.However, webmaster believes that with time, Mahabharat and Ramayan has been modified and exaggerated. However soul of these two stories are intact and be summarised by two of Bhagvadgita slokas.
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥
जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, विनाश का कार्य होता है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूँ और इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।
सज्जनों और साधुओं की रक्षा करने लिए और पृथ्वी पर से पाप को नष्ट करने के लिए तथा दुर्जनों और पापियों के विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में बार-बार अवतार लेता हूँ और समस्त पृथ्वी वासियों का कल्याण करता हूँ।
“Yada yada hi dharmasya glanirbhavati bharata,
Abhythanamadharmasya tadatmanam srijamyaham
Paritranaya sadhunang vinashay cha dushkritam
Dharmasangsthapanarthay sambhabami yuge yuge”
And there is exaltation of unrighteousness, then I Myself come forth ;
For the protection of the good, for the destruction of evil-doers,
For the sake of firmly establishing righteousness, I am born from age to age.”